S.D. Human Development, Research & Training Center | श्रीमद्भगवद्गीता के सप्त अध्याय पर आधारित पुण्य/पाप-वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण श्रीमद्भगवद्गीता के सप्त अध्याय पर आधारित पुण्य/पाप-वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण | S.D. Human Development, Research & Training Center
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Sanatan Dharma Human Development, Research & Training Center
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श्रीमद्भगवद्गीता के सप्त अध्याय पर आधारित पुण्य/पाप-वृत्ति व्यक्तित्व परीक्षण

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1. भगवान् में चित्त लगाता हूँ। (मयि आसक्तमनाः)
2. योग का अभ्यास करता हूँ। (योगम्)
3. सिद्धि के लिए यत्न करता हूँ। (यतति सिद्धये)
4. त्रिगुणमय भावों से मोहित हूँ। (गुणमयैः भावैः)
5. दुष्ट कर्म करता हूँ। (दुष्कृतिनो)
6. सभी भोग्य वस्तुओं को अपने अधीन मानता हूँ। (मूढाः)
7. ईश्वर के सम्मुख होने योग्य नहीं। (नराधमाः)
8. माया से हरे गये ज्ञान वाला हुँ। (माययाऽपह्रतज्ञाना)
9. ईश्वर में द्वेष रखता हूँ। (आसुरं भावमाश्रिता)
10. ईश्वर का भजन करता हूँ। (भजन्ते माम्)
11. प्रतिष्ठा को प्राप्त करना चाहता हूँ। (आर्तो)
12. ऐश्वर्य चाहता हूँ। (अर्थार्थी)
13. आत्मस्वरूप को देखना चाहता हूँ। (जिज्ञासु)
14. भगवान् को परम प्राप्य समझता हूँ। (ज्ञानी)
15. एक ईश्वर की भक्ति करता हूँ। (एकभक्तिर्विशिष्यते)
16. सर्वत्र परमात्मा ही है। (वासुदेवः सर्वम्)
17. इच्छानुरूप देवता की शरण लेता हूँ। (प्रपद्यन्तेऽन्यदेवताः)
18. परमात्मा अनादि नहीं है, ऐसा मानता हूँ। (अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं)
19. ईश्वर अजन्मा व अविनाशी हूँ। (मामजमव्ययम्)
20. दृढव्रती हूँ। (दृढव्रताः)
21. जरा-मरण से छूटने के लिए यत्न करता हूँ। (जरामरणमोक्षाय)