28 अक्टूबर, 2017 को सनातन धर्म मानव विकास शोध एवम् प्रशिक्षण केन्द्र की ओर से अम्बाला छावनी के सनातन धर्म महाविद्यालय के संगोष्ठी कक्ष में “ बैरागी सम्प्रदाय के इतिहास्, दर्शन, प्रथाओं एवम् साहित्य की मीमांसा (भाग 1)” “ Critique of history, philosophy, practices & literature of Bairagi sect (Part-1)” विषय् पर निकटस्थ एवं दूरस्थ विद्वन्मण्डली, प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी सम्मिलित हुए। बैरागी सम्प्रदाय आज भी जीवन्त एवम् सक्रिय है तथा विभिन्न गतिविधियों के द्वारा समाज कल्याण से जुड़ा हुआ है परन्तु आज भी जन सामान्य में जिस प्राकार इसका प्रचार –प्रसार होना चाहिए, वैसा नहीं हो रहा, इसीलिए बैरागी सम्प्रदाय की दीर्घ परम्परावलियों को एक दिवसीय संगोष्ठी में समेटना दुष्कर कार्य है, अतः इस विषय पर गहन विचार करने के लिए संगोष्ठी भाग दो की पूरी सम्भावना एवं चुनौति रहेगी। इस संगोष्ठी में पंजाब विश्वविद्यालय के भूतपूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो० रमाकान्त आंगिरस, बन्दा बैरागी परम्परा से साक्षात् एवं सक्रिय रूप से सम्बद्ध डा० राजसिंह वैष्णव, पञ्चकूला में स्थित ऐतिहासिक शोध एवम् तुलनात्मक अध्ययन परिषद् के निदेशक श्री नीरज अत्रि, पञ्चकूला में स्थित हरियाणा ग्रन्थ अकादमी के उपाध्यक्ष डा० वीरेन्द्र चौहान, अखिल भारतीय बैरागी सम्प्रदाय के अध्यक्ष श्री कृष्ण कुमार बावा जैसे अनुभव-वृद्ध एवम् ज्ञानवृद्ध विद्वन्मण्डली ने बैरागी सम्प्रदाय की मूल पृष्ठभूमी का परिचय देते हुए महन्तों एवम् अखाड़ों की जानकारी प्रदान की। संगोष्ठी का मुख्य विचार बिन्दु पर चर्चा करते हुए यह स्पष्ट हुआ कि 1857 की क्रान्ति में सबसे पहले फांसी पर चढ़ने वाले महन्त रामप्रसाद बैरागी थे। बैरागियों का राष्ट्र-प्रेम, समाज सुधार एवम् उनका गम्भीर दर्शन शोध के नए आयाम प्रस्तुत कर रहा है। अतः ओझल होती हुई बैरागी परम्परा को प्रकाश में लाने का श्रेय इस संगोष्ठी को जाता है। इस संगोष्ठी में “सनातन धर्म मानव विकास शोध एवम् प्रशिक्षण केन्द्र” की ओर से जारी होने वाले न्यूज-लैटर का उद्घाटन हरियाणा संस्कृत अकादमी के अध्यक्ष डा० सोमेश्वर दत्त के कर कमलों से किया गया। इस अवसर पर न्यूज-लैटर की सहसम्पादिका प्रो. मीनाक्षी शर्मा ने सम्पादिकाओं डा० उमा शर्मा और डा० दिव्या जैन के साथ मिल कर न्यूज-लैटर का प्रारूप प्रस्तुत किया। इसी संगोष्टी अम्बाला छावनी स्थित सनातन धर्म संस्कृत कालेज के प्रध्यापक डा० नरेश बत्रा द्वारा लिखित “ वृत्तं यथावृत्तमिदं मदीयम्” पुस्तक का विमोचन हरियाणा ग्रन्थ अकादमी, पञ्चकूला के अध्यक्ष डा० वीरेन्द्र चौहान के करकमलों से हुआ। सम्गोष्ठी में हरियाणा के अतिरिक्त हिमाचल, नासिक, जैसलमेर, पञ्जाब, उत्तरप्रदेश से आए विद्बानों ने बैरागी सम्प्रदाय पर विचार प्रकट कर सहभागिता की। इस ज्ञान-यज्ञ में लगभग 120 विद्वानों ने आहुति अर्पित की। मञ्च-सञ्चालन का सूत्र डा० उमा शर्मा और डा० वीरेन्द्र कुमार के हाथों में रहा।
SDHDRC
Sanatan Dharma College (Lahore)
Jagadhari Road, Ambala Cantt, Haryana 133001
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