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An Undertaking of S.D.College (Lahore) Ambala Cantt

इस पुस्तक में लेखक द्वारा भारतीय दर्शन के मूल्यों को उजागर करने की कोशिश की गयी है। भारतीय दर्शन मुख्यता सत्य की केवल खोज ही नहीं है बल्कि सत्य का साक्षात्कार करने की जीवन पद्धति होने के कारन आचरण के नैतिक आयाम पर बल देता है। भौतिकवादी चार्वाक दर्शन को छोड़कर ऐसा कोई दार्शनिक सम्प्रदाय भारत में ऐसा नहीं है जिसमे मूल्यों का निर्धारण न किया गया हो।

इन्ही मूल्यों को भारतीय दर्शन में पुरषार्थ कहते है। भारतीय मनीषियों द्वारा चार पुरषार्थ स्वीकारे गए है, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। इसमें अर्थ और धर्म साधन है और काम और मोक्ष साध्य है। इस तरह हमारे समक्ष दो रस्ते है, सांसारिक सुखों का रास्ता काम, और कल्याण का रास्ता मोक्ष। भारतीय संस्कृति की यह विशेषता है की उसका प्रधान लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति है, मोक्ष के इलावा किसी मूल्य को जीवन का परम सुख स्वीकार करने को तैयार नहीं है। जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य मोक्ष या ईश्वर प्राप्ति अतिनैतिक एवं अति सामाजिक है इसकी प्राप्ति तीनो पुरषार्थ की सहायता के बिना संभव नहीं है, फिर भी लेखक ने धर्म को विशेष महत्व दिया है। कोई भी राष्ट्र या व्यक्ति विपत्ति में होता है तो धर्म ही उसका उद्धार कर सकता है। धर्म से ही अर्थ और काम संयमित हेट है। धर्म रहित काम और अर्थ महान अनर्थ उतपन्न कर देता है।