परिचर्चा सार ०२-०७-२०१८ संस्कृत विभाग एवं एसडी एचडीआर सेण्टर, एस डी कालेज, अम्बाला छावनी ” वेदव्यास संस्कृत की पुनः संरचना योजना” के अधीन “हरियाणा उच्चतर शिक्षा में संस्कृत विषय की स्थिति एवं संस्कृतज्ञों के प्रतिसम्वेदन” Status Of Sanskrit Subject In Haryana Higher Education & Sanskritists’ Response विषय पर २घण्टे की अन्तर्वैषयिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ. जोगिन्द्र सिंह, डॉ. गौरव शर्मा, श्री बलभद्रदेव थापर, श्री अनिल मित्तल, प्रिंस तथा अन्य छात्रों ने भाग लिया । परिचर्चा में हरियाणा उच्चतर शिक्षा विभाग की वर्तमान संस्कृत के प्रति नीतियों जैसे- संस्कृत विषय के लिये छात्रों-संख्या निश्चत कर देना आदि विषयों के साथ साथ महाविद्यालय/विश्वविद्यालय के स्तर पर नवाचार का अभाव, विभिन्न विषयों के शास्त्राश्रित वैकल्पिक प्रारूप निर्माण में अरुचि, निरन्तर विस्तृत हो रहे ज्ञान-क्षेत्र के विभिन्न आयामों को समझे बिना शास्त्रीय उद्धरणों का दुष्प्रयोग आदि विषयों पर चर्चा की गई तथा वर्तमान में संस्कृत प्राध्यापकों के इन नीतियों के प्रति उदासीन व्यवहार के कारणों को जानने का प्रयास किया गया। क्योंकि यदि संस्कृत विषय के प्रति संस्कृत-प्राध्यापक और छात्र संस्कृत के प्रयोगपरक व्यवहार के लिए उद्यम करने लिए जागरूक नहीं हुये तो भविष्य में महाविद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर पर कार्य करना स्वप्न जैसा हो जायेगा । अतः संस्कृत प्राध्यापकों को संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन के प्रयासों को केवल सरकार के भरोसे न छोड़ कर अपितु इसे नए सिरे से परिभाषित करना होगा । तभी सरकार और समाज संस्कृत के प्रति अपने कर्त्तव्य को समझ सकेगा ।
सादर
आशुतोष आंगिरस